Sahitay Samelen

छापर में दो दिवसीय राजस्थानी साहित्यकार सम्मेलन का शुभारंभ
बेधड़क इंडिया. छापर. राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर और मरूदेश संस्थान सुजानगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में कालू कल्याण केंद्र छापर में आयोजित दो दिवसीय जिला स्तरीय राजस्थानी साहित्यकार सम्मेलन का शुभारंभ शनिवार को दीप प्रज्वलित कर हुआ।
महाकवि कन्हैयालाल सेठिया उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के उपाध्यक्ष डॉ. भरत ओळा ने की। डॉ.ओळा ने आयोजकों को साधुवाद देते ऐसे समारोह को भाषा के विकास में सहायक बताया। समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने कहा कि केन्द्र सरकार राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में जोड़कर मान्यता प्रदान करें। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार राजस्थानी भाषा के विकास हेतु संवेदनशील व क्रियाशील है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता शिक्षाविद् राजवीर सिंह चलकोई ने कहा कि राजस्थानी विश्व की समृद्धिशाली भाषाओं में से एक हैं। राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण राजस्थानी भाषा को अब तक उचित सम्मान नहीं मिला है। राजवीर सिंह चलकोई ने कहा कि छापर शूरवीरों और कर्मवीरों की भूमि है। उन्होंने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया जैसे महाकवि की मूर्ति राज्य की राजधानी में लगनी चाहिए। ताकि विदेश से आने वाले पर्यटकों को हमारी समृद्ध भाषा और साहित्य के बारे में जानने की ललक बढ़े। उन्होंने उदाहरण दिये कि विदेशों में केवल साहित्यकार व वीर सेना नायकों की ही मूर्ति लगती है। उदघाटन सत्र के वरिष्ठ अतिथि कर्नल उमेश स्वामी थे। स्वागत भाषण प्रदीप सुराणा ने दिया। आयोजन के संयोजक कन्हैयालाल स्वामी ने आभार व्यक्त किया। ओम प्रकाश तूनवाल ने दीप मंत्र प्रस्तुत किया। सत्र का संचालन मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया।


पुस्तकों का हुआ विमोचन
उद्घाटन सत्र में छापर के गौरीशंकर भावुक की पुस्तक ” म्हारो प्यारो छापर ताल”, राजगढ़ के डॉ रामकुमार घोटड़ की संपादित पुस्तक “राजस्थानी लघुकथाएं”, तारानगर के किशोर कुमार निर्वाण की पुस्तक ” घिरती फिरती छींया” और रतनगढ़ के मनोज कुमार चारण की पुस्तक ” माखन ” का लोकार्पण हुआ।

इन्होंने किया स्वागत
आगन्तुक अतिथियों का मरूदेश संस्थान के सचिव कमल नयन तोषनीवाल, समन्वयक किशोर सैन ,नानकराम तापड़िया, धनराज प्रजापत, दीपक चांगल, बंटी रांकावत, राकेश ढेनवाल, रवि प्रजापत , तेजकरण उपाध्याय, शंकरलाल सारस्वत, रामनिवास गुर्जर , प्रशांत भंसाली आदि ने किया। नेचर एनवायरमेंट एण्ड वाइल्ड लाइफ सोसायटी की ओर से आगन्तुक अतिथियों को बर्ड फीडर व मिट्टी के घरौंदे भेंट किये गये।


जनगणना में मातृभाषा राजस्थानी लिखवाएं – गोदारा
समारोह में दोपहर को आचार्य कालूगणी प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् रेखाराम गोदारा ने कहा कि आगामी जनगणना में मातृभाषा राजस्थानी को जुड़वाएं। आंकड़ों में राजस्थानी भाषा जुड़ने से मान्यता का मार्ग प्रशस्त होगा। सत्र में राजस्थानी भाषा के विकास में जैन साहित्य का योगदान विषय पर शोधार्थी महेंद्र सिंह नरावत ने पत्रवाचन किया। मुख्य अतिथि राजगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामकुमार घोटड़ थे। सत्र को सान्निध्य प्रदान कर रहे मुनि विजय कुमार ने कहा कि जैन तेरापंथ के आचार्यो ने राजस्थानी भाषा में लिखा है जिससे मातृभाषा समृद्ध हुई हैं। मुनि विजय कुमार ने कहा कि जैन साहित्य में लोक कल्याण की भावना प्रस्फुटित हुईं हैं। इस सत्र का संचालन चमन दुधोड़िया ने किया। शाम चार बजे शुरू हुए पूनमचंद सूंठवाल सत्र में राजस्थानी साहित्य में चूरू जिला के योगदान विषय पर तारानगर के किशोर कुमार निर्वाण ने पत्रवाचन किया। चूरू के वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश तंवर के मुख्य अतिथ्य में आयोजित इस सत्र की अध्यक्षता राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के सदस्य देवकरण जोशी, तारानगर ने की। विशिष्ट अतिथि छापर के वरिष्ठ अधिवक्ता सूर्यप्रकाश स्वामी और राजस्थान फार्मेसी काउन्सियल के सदस्य जितेंद्र तंवर थे। समीक्षा मनोज कुमार चारण ने प्रस्तुत की । संचालन गोगासर के श्रीकांत आत्रेय ने किया।

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